*जिम कार्बेट की 150वी जयंती वर्ष पर विशेष *
सुप्रसिद्ध शिकारी, प्रकृतिवादी एवं लेखक एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट (जिम कॉर्बेट) का जन्म भले ही उत्तराखंड के नैनीताल जिले में हुआ, लेकिन पहाड़ो की रानी से भी उनका व उनके पारिवारिक सदस्यों का भी गहरा लगाव रहा है। कॉर्बेट का नाम जहा एक सुप्रसिद्ध शिकारी के नाम से विख्यात है वहीं उनकी एक पर्यावरणविद के रूप में भी एक अलग पहचान थी।
इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने बताया कि जिम कॉर्बेट के पिता क्रिस्टोफर कॉर्बेट की शादी लंढौर कैंट के सेंटपॉल चर्च में हुई थी वह 1849 में पोस्टमास्टर बनकर मसूरी में आए थे उन्होनें लगभग 12 साल यहां अपनी सेवाएं दी। भारद्वाज बताते हैं कि 1870 में क्रिस्टोफर का ट्रांसफर नैनीताल जिले में हो गया और वह वहां चले गए जहां पर 25 जुलाई 1875 को जिम कॉर्बेट का जन्म हुआ बताया कि जिम के रिश्तेदार मसूरी में रहते थे जिनसे मिलने के लिए जिम अक्सर मसूरी आयाजाया करते थे, हालांकि उन्होंने मसूरी में कुमाऊं क्षेत्र व गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग की तरह किसी नरभक्षी बाघ का शिकार नही किया जिसके लिए वह प्रसिद्ध थे।