मसूरी – शीतकाल शुरू होते ही मानव-वन्यजीव संघर्ष का खतरा बढ़ जाता है इस दौरान ही वन्यजीवों के आक्रामक होने की अधिकांश घटनाएं घटित हो चुकी है। जिससे यह समय मानव-वन्यजीव संघर्ष की दृष्टि से सबसे ज्यादा संवेदनशील बना रहता है।यदि वन्यजीव विशेषज्ञों की माने तो नवंबर से फरवरी माह तक के मध्य प्रजनन काल चरम पर होने के कारण गुलदार एवं बाघों की एक दूसरे वन क्षेत्र में अधिक आवाजाही बढ़ जाती है वहीं वन क्षेत्रों के आसपास मानवीय बसावट वाले क्षेत्रों में हमले की घटनाएं हो जाती है।
गौरतलब है कि विगत जनवरी माह में राजपुर क्षेत्र के सिंघली गांव में गुलदार ने एक बालक पर हमला कर अपना निवाला बना दिया था। शीतकाल के दृष्टिगत मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं की संभावनाओं को देखते हुए वन विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है।
प्रभागीय वनाधिकारी अमित कंवर ने बताया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं की संभावनाओं के मध्यनजर सभी रेंज स्तर पर पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है सभी रेंजों में कैमरा ट्रैप उपलब्ध है। कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो कुछ नए उपकरण भी वन प्रभाग में उपलब्ध करा दिए जाएंगे।