एटॉमिक रिसर्च सेंटर ने
5 कम्पनियो के मिनरल वाटर के
18 सैंपल पर अध्यन करके ये बताया है की
बोतलबंद पानी में पीने योग्य पानी की
तुलना में BROMATE 27 % होता है
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO ) के
अनुसार
1 लीटर पिने योग्य पानी में BROMATE की मात्रा केवल 4 Mg होनी चाहिए
इसके इलवा बोतलबंद मिनरल वाटर में
CHLORITE और CHLORATE की मात्राभी हानिकारक सतर से कही अधिक होती है जो
पानी को जहर बना देता है .
ये रसायन REVERSE OSMOS प्रक्रिया है
जिसे हम सामान्य भाषा में RO बोलते है के दौरान पानी में घुल जाते है .
विज्ञानिको के अनुसार बोतलबंद मिनरल वाटर
से
कैंसर ,
गंजापन ,
आंतो की बीमारी ,
किडनी पर
असर हो सकता है !
अमृत है घड़े का पानी
1:-,
मिट्टी में कई प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता पाई जाती है।
विशेषज्ञों के अनुसार मिट्टी के बर्तनों में पानी रखा जाए, तो उसमें मिट्टी के गुण आ जाते हैं।
इसलिए घड़े में रखा पानी हमें स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
2:-
चयापचय को बढ़ावा
नियमित रूप से घड़े का पानी पीने से प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।
प्लास्टिक की बोतलों में पानी स्टोर करने से,
उसमें प्लास्टिक से जहरीली अशुद्धियां इकट्ठी हो जाती है और वह पानी को अशुद्ध कर देता है।
साथ ही यह भी पाया गया है
कि घड़े में पानी स्टोर करने से शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है।
3:-
पानी में पीएच का संतुलन
घड़े का पानी पीने का एक और लाभ यह भी है कि इसमें मिट्टी में क्षारीय गुण विद्यमान होते
है।
क्षारीय पानी की अम्लता के साथ प्रभावित होकर, उचित पीएच संतुलन प्रदान करता है।
इस पानी को पीने से एसिडिटी पर अंकुश लगाने और पेट के दर्द से राहत प्रदान पाने में मदद मिलती हैं।
4:-
गले को ठीक रखे
आमतौर पर हमें गर्मियों में ठंडा पानी पीने की तलब होती है और हम फिज्र से ठंडा पानी ले
कर पीते हैं।
ठंडा पानी हम पी तो लेते हैं
लेकिन बहुत ज्यादा ठंडा होने के कारण यह
गले और शरीर के अंगों को एक दम से ठंडा कर शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है।
गले की कोशिकाओं का ताप अचानक गिर जाता है
जिस कारण व्याधियां उत्पन्न होती है।
गले का पकने और ग्रंथियों में सूजन आने लगती है
और शुरू होता है शरीर की क्रियाओं का
बिगड़ना।
जबकि घडें को पानी गले पर सकारात्मक प्रभाव देता है।
5:-
गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद
गर्भवती को फ्रिज में रखे, बेहद ठंडे पानी को पीने की सलाह नहीं दी जाती।
उनसे कहा जाता है कि
वे घड़े या सुराही का पानी पिएं।
इनमें रखा पानी न सिर्फ उनकी सेहत के लिए
अच्छा होता है, बल्कि पानी में मिट्टी का सौंधापन बस जाने के कारण गर्भवती को बहुत
अच्छा लगता है।
6:-
वात को नियंत्रित करे
गर्मियों में लोग फ्रिज का या बर्फ का पानी पीते है, इसकी तासीर अत्यंत गर्म होती है।
यह वात भी बढाता है।
बर्फीला पानी पीने से कब्ज हो जाती है तथा
अक्सर गला खराब हो जाता है।
मटके का पानी बहुत अधिक ठंडा ना होने से वात नहीं बढाता, इसका पानी संतुष्टि देता है।
मटके को रंगने के लिए गेरू का इस्तेमाल होता है जो गर्मी में शीतलता प्रदान करता है।
मटके के पानी से कब्ज ,गला ख़राब होना आदि रोग नहीं होते।
7:-
विषैले पदार्थ सोखने की शक्ति
मिटटी में शुद्धि करने का गुण होता है यह सभी विषैले पदार्थ सोख लेती है तथा पानी में सभी जरूरी सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाती है।
इसमें पानी सही तापमान पर रहता है, ना बहुत
अधिक ठंडा ना गर्म।
8:-
कैसे ठंडा रहता है पानी
मिट्टी के बने मटके में सूक्ष्म छिद्र होते हैं।
ये छिद्र इतने सूक्ष्म होते हैं कि इन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता।
पानी का ठंडा होना वाष्पीकरण की क्रिया पर
निर्भर करता है।
जितना ज्यादा वाष्पीकरण होगा, उतना ही
ज्यादा पानी भी ठंडा होगा।
इन सूक्ष्म छिद्रों द्वारा मटके का पानी बाहर निकलता रहता है।
गर्मी के कारण पानी वाष्प बन कर उड़ जाता है।
वाष्प बनने के लिए गर्मी यह मटके के पानी से लेता है।
इस पूरी प्रक्रिया में मटके का तापमान कम हो जाता है और पानी ठंडा रहता है।
आशा है फ्रिज में प्लास्टिक की बोतलों में रखा ठंडा पानी एवं मिनरल वाटर से दुरी अवश्य ही बनाएंगे।