बीसीसीआई ने हल्द्वानी निवासी क्रिकेटर देवेंद्र कुंवर पर दो साल का बैन लगा दिया है। उन पर विजय हजारे ट्रॉफी के ट्रायल में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शामिल होने का आरोप लगा था। जांच के बाद बीसीसीआई ने आरोपों की पुष्टि की। देवेंद्र अगले दो वर्षों तक बीसीसीआई की किसी भी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।
उत्तराखंड में क्रिकेटरों के फर्जीवाड़े के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। अंडर-19 टीम में तीन क्रिकेटरों के फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल की पुष्टि होने के बाद अब सीनियर टीम निशाने पर आई है।
उड़ीसा की अंडर-23 टीम में शामिल रहे देवेंद्र कुंवर के विजय हजारे ट्रॉफी के ट्रायल में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शामिल होने की पुष्टि हुई है। ट्रायल के बाद देवेंद्र को 10 दिवसीय कैंप के लिए भी चुना गया था। हालांकि कैंप के दौरान ही उनके दस्तावेजों के फर्जी होने की जानकारी सामने आई थी, जिसके बाद उन्हें आधे शिविर से बाहर कर दिया गया था।
तीन जगह तीन प्रमाणपत्र
उत्तराखंड राज्य क्रिकेट संचालन समिति के समन्वयक प्रो. रत्नाकर शेट्टी ने बताया कि देवेंद्र कुंवर ने तीन जगह तीन अलग-अलग जन्म प्रमाणपत्र लगाए थे। बीसीसीआई में पंजीकरण के लिए देवेंद्र ने दिल्ली का जन्म प्रमाणपत्र दिया। इसके बाद ओडिसा के लिए ट्रायल देते वक्त उन्होंने ओडिसा का ही जन्म प्रमाणपत्र लगा दिया। वहीं, जब वह उत्तराखंड के लिए विजय हजारे ट्रॉफी खेलने उतरे तो उन्होंने उत्तराखंड का जन्म प्रमाणपत्र लगा दिया।
तीन क्रिकेटर पहले हुए बैन
अंडर-19 क्रिकेट टीम में चुने गए तीन क्रिकेटरों पर भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ट्रायल में शामिल होने के आरोप लगे थे। बीसीसीआई की पूछताछ में उन्होंने अपना अपराध कुबूल कर लिया था। इसके बाद बीसीसीआई ने टीम में शामिल रहे प्रशांत कुमार, नितीश जोशी और लक्षय सिंह पंवार पर दो-दो साल का बैन लगा दिया था।